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दिल्ली में निचले स्तर पर पहुँची कानून व्यवस्था, खुलेआम अदालतों के आदेशों का असम्मान और भ्रष्टाचार

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नई दिल्ली…4 फरवरी, 2017, दिल्ली में निचले स्तर पर पहुँची कानून व्यवस्था, खुलेआम अदालतों के आदेशों का असम्मान और भ्रष्टाचार के नंगे नाच की ऐसी मिसाल हमने तो 62 वर्षों में नही देखी थी और न ही कल्पना की थी। घटना पीएस जामियां नगर की है, एक महाशय को अपने पड़ोस में बनने वाले प्रपोज़ बहुँमंजिली अवैध निर्माण के विरोध स्वरुप 2000 में स्टे ले लेना, उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल बन गई, उनका व उनके परिवार का जीवन नरक हो गया, जानलेवा हमला, झूठे केस, जानमाल की धमकी-आदि आदि.. अदालतो के चक्कर में ही 17 वर्ष बीते, आमतौर से अदालते ऐसे व्यवहार करती है जैसे शिकायतकर्ता अधिकार नही भीख माँग रहा हो जहाँपनाह से. लेकिन इस सबके बावजूद इस बात का संतोष था कि उनके प्रयास से एक गलत काम को रोकने में सफलता मिल रही थी।

लेकिन 20 जनवरी 2017 उस प्लाट पर दोबारा अवैध निर्माण शुरू हुआ तो पीसीआर काल करने के बदले में एक बड़ा झूठा केस 22 जनवरी को बना दिया गया, ताकि गिरफ्तारी की आड़ में अवैध निर्माण ब्लैकमेल करके कराया जा सके, शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री, सुप्रिमकोर्ट व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, उपराज्यपाल, महेशगिरी- एमपी, पुलिस व एमसीडी के आयुक्त, सीवीसी, सीबीआई, विशेष आयुक्त ला-आर्डर, डीसीपी, एसीपी व एसएचओ आदि को न केवल मेल, बाईहैंड एक विस्तार में लिखा पत्र दिया बल्कि कई अधिकारियों से स्वम मिलकर पूरी घटना की जानकारी भी दी, लेकिन केवल आश्वासन या पत्र के किसी तरह की कोई राहत आजतक नही मिली और अवैध निर्माण एमसीडी के पुलिस को काम रोकने के दो पत्र लिखने व तोड़ने के नोटिस के बावजूद आज भी उसी तरह अनवरत रात-दिन चल रहा है और ये पूरा काम स्थानीय पुलिस की निगरानी में चल रहा है, ऐसे पुलिस वाले भी इसमें शामिल है जिसका 4 महीने पहले स्थातरण हो गया है जिनकी उगाही की योग्यता की वजह से शायद आज तक थाने में ही मौजूद है। जिसको सीसीटीवी कैमरे के रिकार्ड से देख सकते है।

आखिर थक हार कर शिकायतकर्ता नें हाईकोर्ट की शरण ली, एंटीसिपेटरी बेल करायी, अदालत की अवमानना और जानमाल की रक्षा के लिए की अदालत से गुहार लगाई, लेकिन अदालतों की तारीख देने की परंपरा खुद में बहुत तकलीफ देने वाली है। इसलिए शिकायतकर्ता ने तय किया है कि वो अब उस अवैध निर्माण का विरोध किसी भी स्तर पर न करके उसकी वजह से होने वाले पूरे घर में आ गई दरारों की शुरुआत जिसकी वजह से धीरे-धीरे सारा मकान टुट जायेगा, का मुआवजा सुप्रिमकोर्ट तक जाकर भी वसूल कर लेगा और जब तक सिक्योरिटी नही मिल जाती है तब तक किसी भी अदालत में पेश होकर इस अवैध निर्माण के बारे में कुछ नही कहेगा और न करेगा. लानत तो ऐसे सिस्टम, कानून व्यवस्था और अदालतों की न्याय देने के नाम पर तारीखों की नौटंकी पर।

अतः आपसे भी अनुरोध है कि अगर आपके घर के साथ में कोई अवैध निर्माण हो रहा हो तो उसका विरोध करने के बजाये केवल मुआवजे का क्लेम करे..जरुरत हो तो हम आपकी सहायता मुआवजा दिलानें में करेगे। बाकी अब देश में गुंड़े-मवालियों व भ्रष्ट्र अधिकारियों का बोलबाला है और रिश्वत के बदले में किसी भी हद तक गिरने से भी बाज आते है।

इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री कार्यालय, आम आदमी पार्टी, पुलिस आयुक्त, महेशगिरी आदि ने कार्यवाही की रिपोर्ट माँगी है और जानकारी के अनुसार भ्रामक और सिरे से गलत रिपोर्ट भेजी जा रही है..सच्चाई को मय दस्तावेजों व फोटोग्राफ देखने के लिए पढ़ियें विश्वविख्यात न्यूज पोर्टल आपकी आवाज़.काँम पर.. https://node1.indservers.com/~aapkiawazcom/police-criminal-nexus-making-delhi-andher-nagri/

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